राजस्थान का इतिहास
क्षेत्रफल की दृष्टी से राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है। आजदी से पहले यह क्षेत्र राजपुताना या राजपूत एक योद्धा समुदाय कहलाता था। राजस्थान का इतिहास प्रागैतिहासिक कल से शुरू होता है।ईसा पूर्व 3,000 से 1,000 के बीच यंहा की सांस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता जैसी थी। सातवीं शताब्दी में यहां चौहान राजपूतों का प्रभुत्व बढने लगा और बारहवीं शताब्दी तक उन्होंने साम्राज्य स्थापित कर लिया था।चौहान के बाद इस योद्धाजाति का नेतृत्व मेवाड़ के गहलोतों ने संभाला। मेवाड़ के अलावा जो अन्य रियासतें ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख रही है। मारवाड़, जयपुर, बूंदी, कोटा, भरतपुर, और अलवर आदि। इसकी सीमा पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (1,32,139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं।
राजस्थान में पर्यटन
जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है।
राजस्थान देशीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यकटों, दोनों के लिए एक उचित पर्यटन स्थल है। भारत की पर्यटन करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने ज़रूर आता है। क्योंकि यह भारत आने वाले पर्यटकों के लिए गोल्डन ट्रायंगल का हिस्सा है। जयपुर के महल, उदयपुर की झीलें और जोधपुर, बीकानेर तथा जैसलमेर के भव्य दुर्ग भारतीय और विदेशी सैलानोयों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक हैं। इन प्रसिद्ध स्थलों को देखने के लिए यहां हज़ारों पर्यटक आते हैं। जयपुर का हवामहल, जोधपुर, बीकानेर के धोरे काफी प्रसिद्ध हैं। जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग ,चित्तौड़गढ़ दुर्ग काफी प्रसिद्ध है। यहां राजस्थान में कई पुरानी हवेलियाँ भी है जो वर्तमान में हैरीटेज होटलें बन चुकी हैं।
भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 2 सौ 39 वर्ग कि.मी. है। जो की देश का 10.41 प्रतिशत है। राजस्थान में देश का 11 प्रतिशत क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है और राज्य में 50 प्रतिशत सकल सिंचित क्षेत्र है जबकि 30 प्रतिशत शुद्ध सिंचित क्षेत्र है।
राजस्थान में कृषि
राजस्थान का 60 प्रतिशत क्षेत्र मरूस्थल और 10 प्रतिशत क्षेत्र पर्वतीय है। अतः कृषि कार्य संपन्न नहीं हो पाता है और मरूस्थलीय भूमि सिंचाई के साधनों का अभाव पाया जाता है। अधिकांश खेती राज्य में वर्षा पर निर्भर होने के कारण राज्य में कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता है। राज्य की खेती को निम्न तीन नामों से जाना जाता है। रबी, खरीफ, जायद
रबी
रबी की फसल की बुआई अक्टूबर, नवम्बर में की जाती है तथा फरवरी मार्च में कटाई की जाती है। इसकी मुख्य फसल निम्न है। गेहूं जौ, चना, सरसो, मसूर, मटर, अलसी, तारामीरा, सूरजमुखी, रबी को उनालू भी कहा जाता है।
खरीफ
खरीफ की फसल की बुआई जून, जुलाई में की जाती है तथा सितम्बर-अक्टूबर में कटाई की जाती है। इसकी मुख्य फसल निम्न है। बाजरा, ज्वार, मूंगफली, कपास, मक्का, गन्ना, सोयाबीन, चावल आदि। खरीफ को स्यालु/सावणु कहा जाता है।
जायद
जायद की फसल की बुआई मार्च-अप्रेल में की जाती है तथा जून-जुलाई में कटाई की जाती है। इसकी मुख्य फसल निम्न है। खरबूजे, तरबूज ककडी आदि।
राजस्थान के खनिज व उद्योग
राजस्थान सांस्कृतिक रूप से समृद्ध होने के साथ-साथ खनिजों के मामले में भी समृद्ध रहा है और अब वह देश के औद्योगिक परिदृश्य में भी तेजी से उभर रहा है। राज्य के प्रमुख केंद्रीय प्रतिष्ठानों में देबारी (उदयपुर) में जस्ता गलाने का संयंत्र, खेतड़ी (झुंझुनू) में तांबा परियोजना और कोटा में सूक्ष्म उपकरणों का कारख़ाना शामिल है।राजस्थान के मुख्य उद्योग हैं वस्त्र, ऊनी कपडे, चीनी, सीमेंट, काँच, सोडियम संयंत्र, ऑक्सीजन, वनस्पति, रंग, कीटनाशक, जस्ता, उर्वरक, रेल के डिब्बे, बॉल बियरिंग, पानी व बिजली के मीटर, टेलीवीजन सेट, सल्फ्यूरिक एसिड, सिंथेटिक धागे तथा तापरोधी ईंटें आदि। बहुमूल्य और कम मूल्य के रत्नों के अलावा कास्टिक सोडा, कैलशियम कार्बाइड, नाइलोन तथा टायर आदि अन्य महत्त्वपूर्ण औद्योगिक इकाइयां हैं। राज्य में जिंक कंसंट्रेट, पन्ना, गार्नेट, जिप्सम, खनिज, चांदी, एस्बेस्टस, फैल्सपार तथा अभ्रक के प्रचुर भंडार हैं। राज्य में नमक, रॉक फास्फेट, मारबल तथा लाल पत्थर भी काफ़ी मात्रा में मिलता है। सीतापुर (जयपुर) में देश पहला निर्यात संवर्द्धन पार्क बनाया गया है भारत के सांद्रित जस्ता, सीसा, पन्ना व गार्नेट का संपूर्ण उत्पादन राजस्थान में ही होता है। देश में जिप्सम व चांदी अयस्क उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत भाग राजस्थान में होता है। राज्य को विद्युत आपूर्ति पड़ोसी राज्यों व चबंल घाटी परियोजना से होती है।
राजस्थान के प्रमुख त्यौहार
राजस्थान मेलों और उत्सवों की धरती है। राजस्थान में होली, दिपावली, रक्षा बन्धन, दशहरा, नववर्ष, गणगौर, आदि त्यौहार मनाय जाते है। राजस्थान के त्यौहारों की Trick दि गयी है।
त्यौहार |
Trick | तिथि |
श्रावणी/छोटी तीज | सासु | श्रावण शुक्ला तीज |
रक्षा बन्धन | – | श्रावण पूर्णिमा |
बड़ी तीज, सातुड़ी, कजली तीज | BK | भाद्र कृष्ण तीज |
कृष्ण जन्माष्टमी | BK | भाद्र कृष्ण – 8 |
गोगानवमी | BK | भाद्र कृष्ण – 9 |
बछबारस | BK | भाद्र कृष्ण – 12 |
गणेश चतुर्थी | बॅास(गणेश बॅास) | भाद्र शुक्ला – 4 |
ऋषि पंचमी | बॅास(ऋषि बॅास) | भाद्र शुक्ला – 5 |
राधाष्टमी | बॅास(कृष्ण की बॅास) | भाद्र शुक्ला – 8 |
दुर्गाष्टमी | दुर्गा सबको‘आशीष‘ | आश्विन शुक्ल – 8 |
दशहरा | रावण के ‘आंसू‘ | आश्विन शुक्ल – 10 |
शरद पूर्णिमा | AC(complete) | आश्विन पूर्णिमा |
करवा चौथ | केक | कार्तिक कृष्ण – 4 |
धनतेरस | केक | कार्तिक कृष्ण – 13 |
दिपावली | राम‘कार मां‘ | कार्तिक अमावस |
देव उठनी ग्यारस | देव उठे ‘काशी‘ में | कार्तिक शुक्ला – 11 |
बसन्त पंचमी | बसन्ती है तो ‘मौसी‘ है | मागशीर्ष शुक्ला – 5 |
श्विरात्रि | व्रत ‘फाका‘ | फाल्गुन कृष्ण – 13 |
होली | फुल पानी मां | फाल्गुन पूर्णीमा |
धुलंडी | ‘चौक‘ में खेलो | चैत्र कृष्ण – 1 |
शीतलाष्टमी | ‘चौक‘ में मनाते हैं | चैत्र कृष्ण – 8 |
नववर्ष | चैन सुकुन | चैत्र शुक्ला – 1 |
गणगौर | ‘चुस्ती‘ का त्यौहार | चैत्र शुक्ला तीज |
रामनवमी | चैन सुकून | चैत्र शुक्ला – 9 |
आखातीज | ‘विसिल‘ बजाते हैं | वैसाख शुक्ला – 3 |
निर्जला ग्यारस | पानी नहीं जूस | जेष्ठ शुक्ला – 11 |
गुरू पूर्णिमा | आप | आषाढ़ पूर्णिमा |
नाग पंचमी | नाग पर ‘श्री कृष्ण‘ | श्रावण कृष्ण – 5 |
घुड़ला | रूपये नहीं ‘चेक‘ दे दो | चैत्र कृष्ण – 8 |
हरियाली अमावस | ‘शाम‘ को | श्रावण अमावस |
जलझुलनी ग्यारस | जल में ‘भैंस‘ |
भाद्र शुक्ला – 11 |