General Science in Hindi Part-3
प्रश्न16:-ट्यूबलाइट का बटन दबाते ही तेज प्रकाश कैसे उत्पन्न होता है?
उत्तर:- ट्यूबलाइट में काँच की नली के दोनों सिरों पर टंगस्टन धातु के तंतु होते है तथा इसमें अल्प दाब पर पारे की वाष्प भरी रहती है। जैसे ही बटन दबाया जाता है टंगस्टन तन्तु से इलेक्ट्रोन उत्सर्जित होते है तथा पारे की वाष्प के अणुओं को आयनित कर देते है जिससे दीप्त विसर्जन होता है इनमें से कुछ प्रकाश तरंगों की तरंग दैधर्य अल्प होती है जिन्हें हम देख नहीं पाते है। अतः इन अदृश्य प्रकाश तरंगों को दृश्य प्रकाश तरंगों में परिवर्तित करने के लिये नली के भीतर की सतह पर प्रतिदीप्त पदार्थ पोत दिया जाता है जो अदृश्य प्रकाश को दृश्य प्रकाश में परिवर्तित करता है इससे ट्यूब लाइट से अधिक प्रकाश प्राप्त होता है।
प्रश्न17:-आतिशबाजी का रॉकेट ऊँचाई पर जाकर पुन: पृथ्वी पर आ जाता है किन्तु रॉकेट पुन: पृथ्वी की ओर लौटकर क्यों नहीं आता है?
उत्तर:- रॉकेट पलायन वेग से प्रक्षेपित होता है अतः यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को पार कर जाता है जिससे उस पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल कार्य नहीं करता तथा वह पुनः पृथ्वी की ओर लौट कर आता है।
प्रश्न18:-कैसे रंग देता है पान, मुख को?
उत्तर:- पान बनाते समय कत्था व चुना लगाया जाता है। इस कत्थे में एक पदार्थ होता है जिसे “कतेचू” कहते है। यह कतेचू चूने से बने क्षारीय माध्यम में आक्सीजन से क्रिया करके कतेचूटैनिक अम्ल बनाता है। यह कटैचू टैनिक अम्ल लाल रंग का यौगिक होता है जो मुख को रंग देता है।
प्रश्न19:-नान स्टिक बर्तनों में खाना क्यों नहीं चिपकता?
उत्तर:- नान स्टिक बर्तनों में टेफ्लान की परत चढ़ी होती है। टेफ्लान फ़्लोरिनयुक्त पालीमर है जिसका रासायनिक नाम पोलिट्रेटा फ़्लुरोइथिलीन है। यह उष्मा के प्रभावों के प्रति अत्यन्त प्रतिरोधी होता है इसका घर्षण गुणांक भी बहुत कम होता है तथा इसमें एन्टीस्टिक गुण भी होता है अतः इसमें खाना पकाने पर खाना नहीं चिपकता।
प्रश्न20:-कैसे भर जाते हैं जख्म?
उत्तर:- जैसे ही त्वजा पर कोई कट लगता है, कटी हुई रक्त वाहिनी से रक्त बाहर आने लगता है तथा रक्त में मौजूद फिबरिन नामक प्रोटीन लम्बे तन्तु बनाने लगती है। जो आपस में मिलकर थक्का बुन लेते है। थक्का घाव को ढककर रक्त प्रवाह को बंद कर देता है। रक्त का थक्का बनने के साथ-साथ श्वेत रुधिर कणिकाएं भी घाव में आ जाती है तथा अन्दर प्रवेश करने वाले जीवाणु पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर देती है। थक्के के नीचे कट के किनारों पर कोशिकायें शीघ्रता से विभाजित होने लगती है तथा कटके ऊपर आवरण बनाने लगती है। चार पाँच दिन में यह आवरण मोटा होकर त्वजा की नई परत बना देता है तथा घाव भरने की क्रिया पूरा होने के बाद एक शुष्क पपड़ी उतर जाती है।